04 March, 2009
अरस्तुल ने कहा था मनुष्यी राजनैतिक प्राणी है ,कालान्तहर मे इसकी सत-प्रतिशत परिण्ती हुइ ,मनुष्यन ने राजनीति को अपने जीवन का एक महत्व पूर्ण् अंग बना लिया ,राजनैतिक शक्ति का केन्द्र भविष्य का सबसे ससक्त केन्द्र सावित हुआ ,मानव जीवन के हर पक्ष मे राजनीति ने अपना दबदबा बनाये रखा लेकिन फिर भी आदर्श के चंगुल से यह अपने को मुक्तप नही करा सकी थी इस सीमा तक कल्याेण् कारी उद़देश्यो के पूर्ती की आशा इससे की जा सकती थी
कालान्तिर मे परिद़श्यर बदला अाधुनिक राजनीति के जनक मैकियावेली का उदय हुआ आपने यह सिद्ध किसा कि राजनीति मनुष्यो के लिए नही है वरन मनुष्यै ही राजनीति के लिए है छल-कपट-झूठ-फरेब-स्वाेर्थ राजपीति के आधार स्त म्भ बने , पूरे विश्व ने इसका स्वाकगत किया यह स्वसच्छ न्दफ थ्ी अनियंित्रत थ्ी आदर्श का स्थाभन स्वारर्थ ने ले लिया, मानव कल्यािण् का स्थानन स्वल-कल्यादण् ने ले लिया ा इसकी चमक की चकाचौध ने मनुष्यथ की ऑखो को चौधिया दिया वह अब बहुत दूर तक देख पाने की सामर्थ्ये खो बैठा निहित स्वानथो ने उसे अन्धाक बना दिया ा आशा वादियो एवं निराशा वादियो मे केवल एक समानता रह गयी दोनो की ही शान्ती् छिन गयी ा
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