सबका मालिक एक है

25 March, 2009

साई बाबा कहते है सबका मालिक एक है ,अडगडानन्‍द स्‍वामी जी ने एक ईश्‍वर की उपासना पर जोर दिया है ,गीता मे भगवान कहते है ,जहॉ-जहॉ भी मनुष्‍य की श्रद्धा झुकती है वहॉ -वहॉ मै ही उसको फलीभूत करने के लिए उपस्थित होता हॅूंं
सह संसार विरोधाभसो से भरा पडा है ,जन्‍म-मृत्‍यु, लाभ-हानि,रात -दिन, सुख-दुख आदि जो कुछ भी प्रत्‍यक्ष मे है वह पूर्ण सत्‍य नही है सब नाशवान हैं,इस नश्‍वरता से उबरने का प्रयास सदैव से ही सत्‍य अन्‍वेषियो का एकमात्र लक्ष्‍य रहा है ,इन कारको के पीछे कौन सी सत्‍ता कार्यरत है,उसका साक्षात्‍कार करना ,उसमे निहित शक्तियो को समझने का प्रयास करना,यही साधना पथ के महत्‍वपूर्ण आधार रहे है ,
उस शक्ति को लोगो ने विभिन्‍न रूपो मे जानने का प्रयास किया,फिर उनका नामकरण किया जो समर्ग था उसे टुकडे मे समझने का प्रयास किया ,बहुत से देवी देवता धर्म संप्रदायो का उदय हुआ ,मनुष्‍य की समग़ दृष्टि संकीर्ण हो गयी वह इतने पर भी रूका नही वह खुद भी टुकडो मे बटा उनको भी बॉटा श्रद्धा का स्‍थान स्‍वार्थ ने ले लिया सबुरी समाप्‍त हो गयी बचा केवल कर्म काण्‍ड ,कर्मकाण्‍डो की इस विभिन्‍नता ने केवल द्धेश बढाया,वह यह भूल गया कि सबका मालिक एक है

स्‍वर्ग-नरक

एक फकीर था जीवन भर उसने पुण्य का कार्य किया ,जाने अनजाने उससे एक अपराध हो गया ,मत्यु के समय यमदूत आये उन्होने फकीर के सामने प्रस्ताव रखा कि अपनी इच्छानुसार वह पहले स्वर्ग या नरक का चयन कर सकता हैं ा फकीर ने नरक मॉगा यमदुत उसे नर्क में लेकर चले गये ,नर्क में उसने देखा कि मनुष्येा के हाथ बीस-बीस मीटर लम्बे हैं सब दुवले पतले व दुखी थे,खाने का समय था सबके सामने अच्छे-अच्छे भोजन रख दिये गये लेकिन किसी का हाथ अपने मुह तक नही पहुच पा रहा था थेाडे प्रयास के बाद उन लोगो ने दूसरे के सामने रखा भोजन उठा कर फेकना प्रारम्भर कर दिया और सभी भूखे ही रह गये ं फकीर के नर्क का समय समाप्त हो गया दूत उसे स्वर्ग मे ले गये वहॉं भी लोगो के हाथ उतने ही लम्बे थे लेकिन सभी स्वथ्य एवं प्रस्रन थे फकीर को वडा आश्चर्य हुआ ा खाने का समय यहॅा भी आया उसने देखा यहॉ लोग अपने लम्बे हाथो से दूसरे को भोजन करा रहे थे थोडी देर मे सबने भोजन कर लिया ा फकीर को स्वरर्ग -नर्क का आशय समझ में आ गया था ा

अपने प्रारब्‍ध के लिए स्‍वयं मनुष्‍य उत्‍तर दायी है