28 February, 2009
सुवह होती है ,एक सपना टूट्ता है,रात होती है एक सपना पुन: जन्म लेता है; यही प्रक्रत का विधान है, यही जीवन का सग्राम है ,जो जाने सो योगी जो न जाने भोगी, यह जगत असत्य नही है,पर सपना भी सत्य नही है
सुवह होती है ,एक सपना टूट्ता है,रात होती है एक सपना पुन: जन्म लेता है; यही प्रक्रत का विधान है, यही जीवन का सग्राम है ,जो जाने सो योगी जो न जाने भोगी, यह जगत असत्य नही है,पर सपना भी सत्य नही है