04 March, 2009

श्रीलंकन क्रिकेट टीम पर हमला मात्र पाकिस्ता न की बुरी कानून व्यववस्थाह को ीह नही प्रदर्शित करता है, वरन यह भी अताता है कि एक राष्टो जब अपने पतन की अवस्थान में जा रहा होता है राष्टीेय सम्माहन एवं स्वायभिमान जैसे शब्दोा के मायने बदल जाते है ा पूरी दुनिया में निन्दात हो रही है,कि पाकिस्ताान ऐसे मेहमानो की सुरक्षा करने में भी सक्षम नही है जिसपर पूरे देश के र्किकेट प्रेमियो की निगाहे थी ा
यह एक लाचार राजनैतिक व्यमवस्था की झलकियां मात्र हैं, वही राजनैतिक व्यमवस्थार जो हर समय अपने को किसी भी राष्ट़य की सर्वोच्च प्रभावशाली संस्था के रूप में प्रकट करने के लिए उतावली रहती हैं
यहाँ समस्या सामन्ज़स्यी की भी दिखायी पडती है,जो अधिकारो एवं कर्तवयो के बीच, संस्थाओ संस्था‍ओ के बीच लुका-छिनी का खेल-खेल रही होती हैं ,हुक्मटरान अपने अध्किारो के प्रति सचेष्‍ट रहते हैं राष्ट़ उनके कर्तव्‍यो के प्रति प्रत्यसक्ष –परोक्ष रूप से सचेष्टं रहता हैं,जब राजनैतिक संस्थाह का अधिकार बदता हैं तो उनके प्रति राष्ट़ु की अपेक्षाओ का बदना स्वा्भाविक है सामन्जरस्यै बिगडने पर राष्ट़ का पतन अवस्युम्भािवि होता हैं यह पतन ही लाता है बदती बेरोजगारी ,बदती महगाइ, कुपोषण्‍ भष्टा्चार, आतंकवाद आदि ा यह सारी पतन कारी प्रवृत्तियॉ किसी देश मे उसी तरह सक्रिय हो जाती है जैसे वीज वोने से पहले हलवाहो का समूह खेत को उपजाउ बनाने के लिए सक्रिय हो जाता है और बीज पडता है विनास का जो तेजी से फलता फूलता है और एक सभ्याता का पतन हो जाता हैा

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