लोक्तन्त्र

23 February, 2009

लोक्तन्त्र की अपनी अपनी एक मर्यादा होती है और जनता इसकी पर्हरी होती है मतदान मे क्या इसक ध्यान रखा जा रहा है यदि नही तो दोशी कौन है हम क्या अपना दोश दुसरे पर थोप नही रहे है हमै मन्थन करना ही होगा

2 टिप्पणियाँ:

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

manthan karega koun, is baare me sab hai moun. narayan narayan

अभिषेक मिश्र said...

Swagat Blog parivar mein.