सपना

28 February, 2009

सुवह होती है ,एक सपना टूट्ता है,रात होती है एक सपना पुन: जन्म लेता है; यही प्रक्रत का विधान है, यही जीवन का सग्राम है ,जो जाने सो योगी जो न जाने भोगी, यह जगत असत्य नही है,पर सपना भी सत्य नही है

लोक्तन्त्र

23 February, 2009

लोक्तन्त्र की अपनी अपनी एक मर्यादा होती है और जनता इसकी पर्हरी होती है मतदान मे क्या इसक ध्यान रखा जा रहा है यदि नही तो दोशी कौन है हम क्या अपना दोश दुसरे पर थोप नही रहे है हमै मन्थन करना ही होगा

एह्सास

21 February, 2009

ये एक बहाना है आपको करीब लाना है ब

05 February, 2009